Conductor, semiconductor and insulator (चालक, कुचलक एवं अर्धचालक )

क्या विधुत हर वास्तु मे से गुजर सकती है?

किसी भी वस्तु में इलेक्ट्रान के प्रवाह को विधुत धारा कहते हैं। जिन पदार्थों में इलेक्ट्रान का बहाव अधिक होता है, उन पदार्थों में विधुत का प्रवाह अधिक होता है, जेसे लोहा, तांबा,एल्युमीनियम, आदि। परन्तु कुछ पदार्थों में इलेक्ट्रान का प्रवाह बहुत कम या बिलकुल नहीं होता है, जेसे प्लास्टिक, कागज, कपड़ा आदि। अतः हम कह सकते हैं कि विधुत हर वस्तु में प्रवाह नहीं करती है।

कुछ पदार्थों में विधुत का प्रवाह अधिक और कुछ मे कम क्यों होता है?

सभी पदार्थ परमाणुओं(atom) से बने होते हैं। अतः सभी पदार्थों के परमणु के सबसे बाहरी कक्षा में इलेक्ट्रॉन्स की संख्या पर विधुत का प्रवाह निर्भर करता है। सबसे बाहरी कक्षा को Valency band कहते हैं।आईये सबसे पहले परमाणु की सरचना को समझें।
ऊपर दिए गये चित्रों में तीन परमाणु दिखये गये हैं। सभी परमाणुओं की एक खास विशेषता होती है। सभी परमाणुओं के पहली कक्षा में अधिकतम 2 इलेक्ट्रान हो सकते हैं, जबकि सबसे बाहर की कक्षा (valency band) में अधिकतम 8 इलेक्ट्रान तक हो सकते हैं। इलेक्ट्रान हमेसा अंदर की कक्षाओं से भरने सुरु होते हैं। अतः केवल सबसे बाहर के कक्ष के इलेक्ट्रानों के प्रवाह के कारण ही विधुत ऊर्जा उत्पन होती है। वे पदार्थ जिनके परमाणु अपने बाहरी कक्ष के इलेक्ट्रान को, बाहरी ऊर्जा(वोल्टेज, प्रकाश, या गर्मी) मिलने पर  आसानी से छोड़ देते हैं, अच्छे चालक होते हैं, परन्तु जिन पदार्थों के परमाणु अपने इलेक्ट्रान नहीं छोड़ते हैं, खराब चालक कहलाते हैं। पदार्थों के इसी गुण के अधर पर इन्हें तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है। वर्गीकरण को समझने से पहले हम एक उदाहरण लेते हैं।
माना कि हमारे पास 101 रूपये हैं। यदि कोई हमसे 1 रुपया मांगता है तो हम उसे आसानी से दे सकते हैं। क्योंकि इनसानी प्रवृति के कारण हम 100 पर खुद को संतुष्ट महसूस करते हैं। पर यदि हमारे पास पूरे 100 रूपये हों तब हम किसी को 1 रूपया नहीं देंगे। यदि हमारे पास 99 रूपये हों तो हम किसी को रूपये देने की जगह कोई ऐसा स्रोत खोजेंगे जिससे हमे 1 रुपया प्राप्त हो और हमारा 100 रूपये पूरे हो जाएँ। परमाणु भी लगभग इसी तरह व्यवहार करते हैं।
प्रकृतिक रूप से, सभी परमाणु अपने valency band में 8 इलेक्ट्रॉन पूरे करने की कोशिस करते हैं। जिनके पास 4 से काम होते हैं, वे अपने इलेक्ट्रॉन आसानी से छोड़ देते हैं और जिनके पास 4 से अधिक इलेक्ट्रॉन होते हैं, वे अपने इलेक्ट्रॉन नहीं छोड़ते हैं।

चालक/conductor

वे पदार्थ, जिनके परमाणुओं के बाहरी कक्ष में 4 से कम (1,2 या 3) इलेक्ट्रान होते हैं, चालक कहलाते हैं।
 कुछ पदार्थों में, जेसे कॉपर, लोहा, एल्युमीनियम आदि में 8 के आधे से भी कम यानि 3,2, अथवा 1 इलेक्ट्रान होते हैं। अतः ये पदार्थ अपने बाहरी कक्षा के इलेक्ट्रान को बाहरी ऊर्जा(वोल्टेज) मिलने पर आसानी से छोड़ देते हैं, जिसकी वजह से इन पदार्थों में इलेक्ट्रान का बहाव अच्छा होता है। अतः ये पदार्थ विधुत के अच्छे चालक होते हैं और चालक/conductor कहलाते हैं। सभी धातु चालक होते हैं। जिस चालक के सबसे बाहरी कक्ष में केवल एक इलेक्ट्रान होता है, उसका परमाणु अपने इलेक्ट्रान को कम ऊर्जा मिलने पर सबसे आसानी से मुक्त करता है। अतः वह सबसे अच्छा चालक होता है। ऊपर दिए गये चित्रों के माध्यम से हम समझ सकते हैं की कॉपर(तांबा), लोहे और एल्युमीनियम से अच्छा चालक है। अपने घरों में भी हम अच्छी बिजली सप्लाई के लिए एल्युमीनियम की जगह कॉपर की तारों का इस्तमाल करतें हैं।

कुचालक/insulator

वे पदार्थ, जिनके परमाणुओं की बाहरी कक्षा (valency band) में 4 से अधिक (5,6,7 अथवा 8) इलेक्ट्रान होते हैं, कुचालक कहलाते हैं। [नोट: जिनके बाहरी कक्ष में 8 इलेक्ट्रान होते हैं, वे गैस(वायु) के रूप में उपस्थित रहते हैं। अतः हम यहाँ उनकी चर्चा नहीं करेंगे] 6 इलेक्ट्रान वाले पदार्थ, 5 इलेक्ट्रान वाले पदार्थ से अधिक कुचालक होते हैं, जबकि 7 इलेक्ट्रान वाला पदार्थ, 5 और 6 वाले से अधिक कुचालक होता है। क्योंकि सभी प्रकार के परमाणुओं में सबसे बाहरी कक्ष में 8 इलेक्ट्रान पूरे करने की प्रवृति होती है, इसलिए ये पदार्थ 5,6 अथवा 7 इलेक्ट्रान छोड़ने की जगह 3,2 अथवा 1 इलेक्ट्रान पाने की कोशिस करते हैं। इलेक्ट्रान ना छोड़ने की प्रवृति के कारण ही ये पदार्थ कुचालक की श्रंखला में आते हैं, जेसे sulfure, arsenic आदि। यह अवश्यक नहीं की कुचालक किसी एक ही पदार्थ से बना हो। हमारे आस-पास बहुत सी ऐसी वस्तुएं हैं, जो अलग-अलग पदार्थों से मिल कर बनी हैं, जेसे प्लास्टिक, कागज, रबर, कपड़ा आदि। अतः अलग-अलग पदार्थों को मिलाकर भी कुचालक बनाये जा सकते हैं। क्योंकि कुचालक पदार्थों से विधुत प्रवाह नहीं होता है, इसलिए बिजली के उपकरणों पर काम करते समय रबर के दस्ताने और जूते पहने जाते हैं।

अर्धचालक/semiconductro

जिन पदार्थों के परमाणु की आखरी कक्षा (valency band) में 4 इलेक्ट्रान होते हैं, वे अर्धचालक कहलाते हैं।
चित्र में तीन अर्धचालक (सिलिकॉन, जर्मेनियम और कार्बन) के परमाणु दिखाए गये हैं। साधारण तापमान पर ये पदार्थ कुचालक की तरह व्यवहार करते हैं, अर्थात ये अपने इलेक्ट्रान को आसानी से नहीं छोड़ते हैं, परन्तु तापमान बढ़ने पर बाहरी कक्ष के इलेक्ट्रान और nucleus के बीच का बंध कमजोर हो जाता है और पदार्थ किसी चालक की तरह व्यवहार करते हैं। कुछ अन्य पदार्थों के मिश्रण से अर्धचालकों को चालक की तरह स्तेमाल किया जा सकता है।

Energy Band:

अभी तक हमने इलेक्ट्रॉन की कक्षा के बारे में जो पढ़ा वह basic अध्यन था। वास्तव मे इलेक्ट्रॉन किसी एक सुनिश्चित पथ पर नहीं चलते हैं। इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा एक निश्चित दायरे में घटती-बढ़ती रहती है. जब इलेक्ट्रॉन में ऊर्जा अधिक होती है तब इलेक्ट्रॉन, nucleus से अधिक दूरी पर होता है और जब इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा घटती है, तब इलेक्ट्रॉन, न्यूक्लियस के अधिक नजदीक होता है। 
 चित्र में परमाणु के एक इलेक्ट्रॉन की चार अलग-अलग position दिखायी गयी हैं। Gray रंग की पट्टी, इलेक्ट्रॉन के energy band को दिखती है। इलेक्ट्रॉन एक single गोल लकीर में घूमने की जगह, अपने energy band में कहीं भी हो सकता है। सफेद(white) पट्टी निषेध क्षेत्र है। यहाँ इलेक्ट्रॉन कभी नहीं हो सकता है।
 यदि हर बार इलेक्ट्रॉन के जगह बदलने पर पुरानी जगह पर एक बिन्दु का निशान बनाया जाए तब चित्र के अनुसार हमे पता चलता है कि इलेक्ट्रॉन अपने energy band में कहीं भी जगह बदल सकता है।
परमाणु कि दूसरी, तीसरी, आदि कक्षाएँ भी इसी प्रकार होती हैं
चित्र 2 में दो orbit(कक्षा) वाले परमाणु का energy band digram दिखाया गया है। सबसे बाहरी band को valency band कहते हैं। Conduction band में इलेक्ट्रॉन मुक्त(free) हो जाते हैं। यदि valency band के electrons को energy gap 'Eg3' के बराबर ऊर्जा मिल जाए तो वे conduction band में चले जायेंगे और मुक्त इलेक्ट्रॉन कि तरह व्यवहार करेंगे।

Energy Band के आधार पर भी पदार्थों का वर्गिकरण किया जा सकता है।


1)-चालक पदार्थों में conduction band और valency band के बीच का energy gap बहुत कम होता है या दोनों band एक-दूसरे को ढक देते हैं। इसलिए चालक पदार्थों के valency band के इलेक्ट्रॉन, मुक्त इलेक्ट्रॉन की तरह व्यवहार करते हैं। इनमे valency band में 1, 2, या 3 इलेक्ट्रॉन हो सकते हैं।
चित्र में Conduction band और valency band के बीच बहुत कम energy gap है, इसलिये थोड़ी सी ऊर्जा मिलने पर भी valency band के इलेक्ट्रॉन, conduction band में चले जाते हैं, और free electron की तरह व्यवहार करते हैं।
 चित्र में Conduction band और Valency band एक-दूसरे के ऊपर overlap किये हुए हैं, इसलिये साधारण अवस्था में भी इलेक्ट्रॉन free अवस्था में होते हैं।

2)- कुचालक पदार्थों में conduction band और valency band के बीच  बहुत ज्यादा energy gap होता है, अतः valency band के इलेक्ट्रॉन, conduction band में नहीं जा पाते हैं, विधुत प्रवाह के लिए free electron की तरह व्यवहार नहीं करते हैं।
 इनके valency band में चार से ज्यादा electron होते हैं। इनमे Eg3 का मान लगभग 15 eV के बराबर होता है।

3)- अर्धचालक पदार्थों में conduction band और valency band के बीच थोड़ा सा gap होता है।
 valency band में चार इलेक्ट्रॉन होते हैं। साधारण अवस्था में ये पदार्थ कुचालक की तरह व्यवहार करते हैं, परन्तु ताप(temperature) बढ़ने पर इनमे चालक के गुण आने लगते हैं। इनमे Eg3 का मान लगभग 1 eV के बराबर होता है।

Germanium and Silicon

Electronics की दुनिया में Germanium(Ge) और Silicon(Si) सबसे महत्वपूर्ण अर्धचालक हैं। अतः दोनों की परमाणु संरचना को समझना आवस्यक है।

 Germanium:- Germanium(Ge) में कुल 32 इलेक्ट्रॉन होते हैं। इसके सबसे बाहर वाली कक्षा (valency band) में 4 इलेक्ट्रॉन होते हैं।Valency band और conduction band के बीच 0.72eV का energy gap होता है। साधारण अवस्था में germanium, किसी कुचालक की तरह व्यवहार करता है। परंतु इसका  temperature  coefficient of resistivity, ऋणात्मक (negative) है, अर्थात ताप बढ़ने पर valency band के electron, conduction band में चले जाते हैं और यह किसी चालक की तरह व्यवहार करने लगता है।


Silicon:- सिलिकॉन में कुल 14 electrons होते हैं इसके valency band और conduction band के बीच में 1.12 eV का energy gap होता है। क्योंकि इसमे energy gap, germanium से ज्यादा है, अतः इसके valency band के electrons को conduction band में जाने के लिए germanium से ज्यादा ऊर्जा की जरूरत पड़ेगी। इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में सिलिकॉन का प्रयोग ज्यादा होता है, क्योंकि यह germanium से ज्यादा अधिक तापमान सहन कर सकता है।




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