Capacitor, 'capacity' शब्द से बना है। Capacity का मतलब 'धारण करने की क्षमता' होता है। अतः capacitor (संधारित्र) एक ऐसा electronic component है, जिसमे current को store करने की क्षमता होती है। Capacitor की current को store करने की क्षमता को 'capacitance(धारिता)' कहते हैं। Capacitance को समझने के लिए एक उदाहरण लेते हैं।
माना कि दो चालक(conductor) plate हैं। दोनों को एक दूसरे के नजदीक रखा है, परंतु दोनों एक दूसरे से अलग हैं। साधारण परिस्थिति में दोनों plates में फ्री इलेक्ट्रॉन और hole होते हैं। अब एक प्लेट को battery के positive+ सिरे से जोड़ देते हैं और दूसरी प्लेट को नेगेटिव- सिरे से जोड़ते हैं।
नेगेटिव सिरे वाली प्लेट में इलेक्ट्रॉन भर जाते हैं, जबकि पॉज़िटिव सिरे वाली प्लेट से फ्री इलेक्ट्रॉन खाली हो जाते हैं और +ve होल बचते हैं। इस तरह दोनों प्लेट में विपरीत आवेश एकत्रित हो जाता है। इसी को Capacitor कहते हैं और इस तरह से कैपेसिटर के चार्ज को स्टोर करने की क्षमता को capacitance(धारिता) कहते हैं।
कैपेसिटर की दोनों प्लेट के मध्य कोई dielectric पदार्थ होता है, जिससे दोनों plates के opposite चार्ज, आपस में मिलकर उदसीन(neutral) नहीं हो पाते हैं।
Concept of Capacitance (धारिता की अभिधारणा):- जब किसी कैपेसिटर की plates पर या किसी भी दो चालकों पर विधुत क्षेत्र apply किया जाता है, तब दोनों प्लेट 'q' आवेश से चार्ज होती हैं। आवेश बढ़ने के साथ-साथ दोनों प्लेट के मध्य वोल्टेज भी बढ़ने लगती है। अतः कैपेसिटर को दिये गए आवेश(q) और दोनों plates के मध्य उत्पन्न वोल्टेज के अनुपात(ratio) को capacitance(धारिता) कहते हैं और इसे 'C' से प्रदर्शित करते हैं।
अतः C = q/V
Capacitance की इकाई(unit) 'Farad' है। यदि दो चालकों को 1 वोल्ट के विभानतार(potential difference) पर 1 q(coulomb) से आवेशित किया जाए तो तब चालक plates की धारिता 1 Farad होगी। Farad एक बहुत बड़ी unit है। अतः capacitance के लिए छोटी इकाई जैसे microfarad(µF) और picofarad(pF) आदि स्तेमाल की जाती हैं। कैपेसिटर का symbol ─┤├─ है
Energy store in Capacitor:- कल्पना कीजिये कि एक कैपेसिटर को विधुत क्षेत्र द्वारा dq charge से V volt तक चार्ज किया गया है। अतः विधुत क्षेत्र द्वारा कैपेसिटर को V volt तक चार्ज करने पर dU ऊर्जा स्टोर होती है।
अतः dU = vdq
लेकिन q = Cv है।
अतः dU = vdCv
या dU = Cvdv
कैपेसिटर को full चार्ज करने पर 'V ' वोल्टेज होगी।
अतः 0 से V तक integration करने पर
अतः एक कैपेसिटर को चार्ज करने पर स्टोर ऊर्जा U = ½ CV² joule है।
Charging of capacitor:- कैपेसिटर की charging को समझने के लिए पानी के दो टैंक X और Y का उदाहरण लेते हैं, जो कि नीचे से valve के द्वारा जुड़े हैं। माना कि X बिना चार्ज का कैपेसिटर है और Y full चार्ज, न खत्म होने वाली battery है।
(A)
Discharging of Capacitor:- कैपेसिटर को डिस्चार्ज करने के लिए, कैपेसिटर की दोनों plates को resistance के माध्यम से जोड़ दिया जाता है।
सुरू में कैपेसिटर के फुल्ल चार्ज होने के कारण सर्किट में अधिक धारा का प्रवाह होता है। परंतु जैसे-जैसे कैपेसिटर डिस्चार्ज होता जाता है, धारा का मान भी गिरता जाता है। अतः कैपेसिटर के डिस्चार्ज होने की गति भी कम होती जाती है। कैपेसिटर का 63.2% तक डिस्चार्ज होने मे लिया गया समय, डिस्चार्ज टाइम constant कहलाता है। इसके बाद कैपेसिटर में अधिकतम चार्ज का 36.8% चार्ज रह जाता है। इसके बाद डिस्चार्ज होने की गति घटती जाती है और कैपेसिटर अनन्त समय तक डिस्चार्ज होता रहेगा।
Parallel plate capacitor(समांतर प्लेट संघारित्र):- वह कैपेसिटर, जिसकी 'A' क्षेत्रफल की दोनो plates एक दूसरे के सामने plane रूप में होती हैं और दोनों के बीच में 'd' मोटाई का dielectric पदार्थ भरा होता है, Parallel Plate Capacitor कहलाता हैं।
इस प्रकार के कैपेसिटर पर जब 'V' वोल्टेज apply की जाती है तब एक प्लेट +Q और दूसरी प्लेट -Q चार्ज उत्पन्न करती है।
अतः दोनों प्लेट पर चार्ज घनत्व (density) 'σ' = Q/A coulomb/m²m है।
जबकि दोनों प्लेट की मध्य इलैक्ट्रिक फील्ड E = σ/ԑ0 होगा। (ԑ0 = dielectric constant for air)
अतः E = Q/Aԑ0 -------- (eqn-1)
यदि दोनों plates के मध्य V वोल्टेज और d दूरी है तब E = V/d होगा।
Spherical Capacitor (गोलीय संधारित्र):-:- Spherical capacitor गेंद के आकार में होता है। इसकी दोनों प्लेट, गेंद की तरह गोल होती हैं। एक प्लेट बड़े गोले से बनी होती है जबकि दूसरी प्लेट छोटी गेंद के आकार में होती है। छोटी प्लेट, बड़ी प्लेट के मध्य में स्थित होती है और दोनों के बीच में कोई dielectric पदार्थ भरा होता है।
माना कि दो चालक(conductor) plate हैं। दोनों को एक दूसरे के नजदीक रखा है, परंतु दोनों एक दूसरे से अलग हैं। साधारण परिस्थिति में दोनों plates में फ्री इलेक्ट्रॉन और hole होते हैं। अब एक प्लेट को battery के positive+ सिरे से जोड़ देते हैं और दूसरी प्लेट को नेगेटिव- सिरे से जोड़ते हैं।
नेगेटिव सिरे वाली प्लेट में इलेक्ट्रॉन भर जाते हैं, जबकि पॉज़िटिव सिरे वाली प्लेट से फ्री इलेक्ट्रॉन खाली हो जाते हैं और +ve होल बचते हैं। इस तरह दोनों प्लेट में विपरीत आवेश एकत्रित हो जाता है। इसी को Capacitor कहते हैं और इस तरह से कैपेसिटर के चार्ज को स्टोर करने की क्षमता को capacitance(धारिता) कहते हैं।
कैपेसिटर की दोनों प्लेट के मध्य कोई dielectric पदार्थ होता है, जिससे दोनों plates के opposite चार्ज, आपस में मिलकर उदसीन(neutral) नहीं हो पाते हैं।
Concept of Capacitance (धारिता की अभिधारणा):- जब किसी कैपेसिटर की plates पर या किसी भी दो चालकों पर विधुत क्षेत्र apply किया जाता है, तब दोनों प्लेट 'q' आवेश से चार्ज होती हैं। आवेश बढ़ने के साथ-साथ दोनों प्लेट के मध्य वोल्टेज भी बढ़ने लगती है। अतः कैपेसिटर को दिये गए आवेश(q) और दोनों plates के मध्य उत्पन्न वोल्टेज के अनुपात(ratio) को capacitance(धारिता) कहते हैं और इसे 'C' से प्रदर्शित करते हैं।
अतः C = q/V
Capacitance की इकाई(unit) 'Farad' है। यदि दो चालकों को 1 वोल्ट के विभानतार(potential difference) पर 1 q(coulomb) से आवेशित किया जाए तो तब चालक plates की धारिता 1 Farad होगी। Farad एक बहुत बड़ी unit है। अतः capacitance के लिए छोटी इकाई जैसे microfarad(µF) और picofarad(pF) आदि स्तेमाल की जाती हैं। कैपेसिटर का symbol ─┤├─ है
Energy store in Capacitor:- कल्पना कीजिये कि एक कैपेसिटर को विधुत क्षेत्र द्वारा dq charge से V volt तक चार्ज किया गया है। अतः विधुत क्षेत्र द्वारा कैपेसिटर को V volt तक चार्ज करने पर dU ऊर्जा स्टोर होती है।
अतः dU = vdq
लेकिन q = Cv है।
अतः dU = vdCv
या dU = Cvdv
कैपेसिटर को full चार्ज करने पर 'V ' वोल्टेज होगी।
अतः 0 से V तक integration करने पर
Charging of capacitor:- कैपेसिटर की charging को समझने के लिए पानी के दो टैंक X और Y का उदाहरण लेते हैं, जो कि नीचे से valve के द्वारा जुड़े हैं। माना कि X बिना चार्ज का कैपेसिटर है और Y full चार्ज, न खत्म होने वाली battery है।
- वाल्व के बंद रहने पर tank Y से X कि ओर कोई धारा नहीं बहती है।
- स्विच open होने के कारण battery से कैपेसिटर में कोई धारा नहीं बहती है।
(B)
- Tank X और Y के बीच अधिक प्रैशर difference होने के कारण valve खोलते ही धारा तेजी से Y से X कि ओर बहने लगती है, और सुरू में X tank तेजी से भरता है।
- स्विच ऑन करते ही कैपेसिटर तेजी से चार्ज होने लगता है, और सुरू में सर्किट में धारा का मान अधिक होता है।
(C)
- जैसे-जैसे tank X भरता जाता है, दोनों tanks के बीच का प्रैशर difference कम होता जाता है और धारा के बहने कि गति कम होती जाती है। अतः tank X के भरने कि गति भी कम हो जाती है।
- जैसे-जैसे कैपेसिटर चार्ज होता जाता है, कैपेसिटर और battery कि बीच का potential difference घटता जाता है और सर्किट में धारा का मान कम हो जाता है। अतः कैपेसिटर के चार्जिंग स्पीड भी घटने लगती है।
(D)
- कैपेसिटर द्वारा, battery की वोल्टेज(E) के 63.2% तक चार्ज होने मे लिया गया समय, कैपेसिटर का टाइम constant (T) कहलाता है। T = CR है।
(E)
- कैपेसिटर के 63.2% चार्ज होने के बाद, चार्जिंग स्पीड घटती जाती है। क्योंकि कैपेसिटर, exponential रूप में चार्ज होता है, अतः full चार्ज होने में इसे अनन्त समय लगता है।
सुरू में कैपेसिटर के फुल्ल चार्ज होने के कारण सर्किट में अधिक धारा का प्रवाह होता है। परंतु जैसे-जैसे कैपेसिटर डिस्चार्ज होता जाता है, धारा का मान भी गिरता जाता है। अतः कैपेसिटर के डिस्चार्ज होने की गति भी कम होती जाती है। कैपेसिटर का 63.2% तक डिस्चार्ज होने मे लिया गया समय, डिस्चार्ज टाइम constant कहलाता है। इसके बाद कैपेसिटर में अधिकतम चार्ज का 36.8% चार्ज रह जाता है। इसके बाद डिस्चार्ज होने की गति घटती जाती है और कैपेसिटर अनन्त समय तक डिस्चार्ज होता रहेगा।
Parallel plate capacitor(समांतर प्लेट संघारित्र):- वह कैपेसिटर, जिसकी 'A' क्षेत्रफल की दोनो plates एक दूसरे के सामने plane रूप में होती हैं और दोनों के बीच में 'd' मोटाई का dielectric पदार्थ भरा होता है, Parallel Plate Capacitor कहलाता हैं।
इस प्रकार के कैपेसिटर पर जब 'V' वोल्टेज apply की जाती है तब एक प्लेट +Q और दूसरी प्लेट -Q चार्ज उत्पन्न करती है।
अतः दोनों प्लेट पर चार्ज घनत्व (density) 'σ' = Q/A coulomb/m²m है।
जबकि दोनों प्लेट की मध्य इलैक्ट्रिक फील्ड E = σ/ԑ0 होगा। (ԑ0 = dielectric constant for air)
अतः E = Q/Aԑ0 -------- (eqn-1)
यदि दोनों plates के मध्य V वोल्टेज और d दूरी है तब E = V/d होगा।
इसलिए V = Ed ------ (eqn-2)
eqn-2 में eqn-1 का मान रखने पर
V = Qd/Aԑ0 volt
लेकिन कैपेसिटर की धारिता C = q/V है
अतः C0 = q/(qd/Aԑ0) ------- (C0 = plates के मध्य हवा होने पर कैपेसिटर की धारिता)
या C0 = Aԑ0/d
यदि कैपेसिटर की plates के मध्य हवा की जगह कोई अन्य dielectric पदार्थ हो तब
C = Aԑ0ԑr/d farad है।
Spherical Capacitor (गोलीय संधारित्र):-:- Spherical capacitor गेंद के आकार में होता है। इसकी दोनों प्लेट, गेंद की तरह गोल होती हैं। एक प्लेट बड़े गोले से बनी होती है जबकि दूसरी प्लेट छोटी गेंद के आकार में होती है। छोटी प्लेट, बड़ी प्लेट के मध्य में स्थित होती है और दोनों के बीच में कोई dielectric पदार्थ भरा होता है।
बाहर के गोले को ground किया गया है। जबकि अंदर वाले गोले को +ve सप्लाइ से जोड़ा जाता है। इस तरह गोले A की बाहरी सतह पर +q चार्ज उत्पन्न होता है जबकि प्रेरण(induction) द्वारा गोले B की अंदर की सतह पर -q चार्ज उत्पन्न होता है।
गोले A पर अपने ही आवेश के कारण वोल्टेज V1 = q/4πԑ0Ka volt है। (K = dielectric constant for medium)
इसी प्रकार गोले B की वोल्टेज V2 = q/4πԑ0Kb volt है।
अतः गोले A और B के मध्य voltage V = q/4πԑ0Ka - q/4πԑ0Kb volt है।
कैपेसिटर की धारिता C = q/V होती है
अतः C = q/(q/4πԑ0Ka - q/4πԑ0Kb) farad
या C = 4πԑ0K{(b-a)/ab}
Cylindrical Capacitor (बेलनाकर संघारित्र):- इस प्रकार के कैपेसिटर में दोनों चालक प्लेटें बेलन(cylinder) के आकार में होती हैं। एक प्लेट की गोलाई कम होती है और इसे दूसरी प्लेट के अंदर fit किया जाता है। दोनों के मध्य कोई dielectric पदार्थ भरा होता है। Cylinder की लंबाई l = 1 mtr है।
कल्पना किजाए की बीच के cylinder के केंद्र से x दूरी पर एक और सिलिंडर है।
इस काल्पनिक cylinder का surface area = 2πx × 1 = 2πx m² है।
Gauss के नियम के अनुसार काल्पनिक cylinder के p बिन्दु से 'Q' coulomb विधुत flux गुजरेगा।
अतः बिन्दु p पर electric flux घनत्व Dx = Q/2πx coulomb/m²
अतः बिन्दु p पर विधुत तीव्रता Ex = Dx/ԑ0ԑr = Q/2πxԑ0ԑr V/m
यदि positive charge, बिन्दु p से dx दूरी तक बाहर की ओर चलता है, तो उसे Exdx कार्य करना पड़ेगा।
क्योंकि यूनिट positive चार्ज द्वारा 'd' से 'D' दूरी तक जाने में किया गया कार्य = दोनों चालक plates के बीच का potential difference है, अतः (आगे की equation को चित्र में देखें)
Dielectric(परावैधुत):- वे कुचालक पदार्थ, जिनमे से विधुत धारा नहीं बहती है, पर वे अपना खुद का विधुत क्षेत्र बनाते हैं, dielectric पदार्थ कहलाते हैं। Dielectric पदार्थ दो प्रकार के होते हैं।
(1)- Non Polar(नॉन पोलर)
(2)- Polar(पोलर/ध्रुवित)
(1)- Non Polar dielectric:- सभी परमाणु के केंद्र में पॉज़िटिव चार्ज होता है और बाहर इलेक्ट्रॉन, नेगेटिव चार्ज के रूप में घूमते रहते हैं। कुछ कुचालक पदार्थों में परमाणु इस तरह जुड़े होते हैं कि उनमे पॉज़िटिव चार्ज और नेगेटिव चार्ज का केंद्र एक ही बिन्दु पर होता है। अतः दोनों चार्ज एक-दूसरे को निरस्त(cancel) कर देते हैं। इस तरह के कुचालक नॉन-पोलर dielectric कहलाते हैं।
नॉन पोलर dielectric पर विधुत क्षेत्र का प्रभाव:- चित्र में ऑक्सिजन गैस के एक अणु(O2) का उदाहरण दिया है, जिसमे ऑक्सिजन के दो परमाणु covalent bond के द्वारा आपस में जुड़े हैं। साधारण परिस्थिति में दोनों के पॉज़िटिव और नेगेटिव क्षेत्रों का केंद्र एक ही है। अतः net चार्ज शून्य है। परन्तु यदि अणु पर बाहरी विधुत क्षेत्र लगाया जाये तब दोनों परमाणु के -ve electrons, बाहरी विधुत क्षेत्र के पॉज़िटिव कि ओर खिसक जाते हैं और nucleus, नेगेटिव की ओर खिसक जाता है। इस तरह अब दोनों परमाणु के नेगेटिव और पॉज़िटिव क्षेत्र का केंद्र बिन्दु अलग-अलग हो जाता है। अतः नेगेटिव और पॉज़िटिव क्षेत्र के बीच बने gap के कारण दोनों परमाणुओं के मध्य में विधुत क्षेत्र उतपन हो जाता है। इस विधुत क्षेत्र की दिशा, बाहरी विधुत क्षेत्र की दिशा के विपरीत होती है। अतः नॉन पोलर dielectric मे बना विधुत क्षेत्र, बाहरी विधुत क्षेत्र के प्रभाव को कुछ कम कर देता है।
माना कि बाहरी विधुत क्षेत्र E1 है। E 1 के कारण dielectric material के अंदर E2 विधुत क्षेत्र उत्पन्न होगा।
अतः कुल विधुत क्षेत्र E = E1 - E2
इसलिए E1 α E
या E1 = KE यहाँ K परावैधुत पदार्थ का dielectric constant है।
इसलिए K = E1/E
(2)- पोलर dielectric:- ऐसे कुचालक, जिनमे विधुत धारा नहीं बहती है पर जिनके अणुओं में खुद का विधुत क्षेत्र होता है, पोलर dielectric कहलाते हैं। नमक(NaCl) इसका सबसे अच्छा उदाहरण है।
साधारण परिस्थिति में भी नमक के एक अणु में पॉज़िटिव और नेगेटिव का केंद्र अलग-अलग होता है। अतः अणु में खुद का इलैक्ट्रिक फील्ड होता है। बाहरी विधुत क्षेत्र लगाने पर सभी अणु इस तरह polarise(ध्रुवित) हो जाते हैं कि अणु का इलैक्ट्रिक फील्ड, बाहरी इलैक्ट्रिक फील्ड के विपरीत दिशा में होता है। अतः पोलर dielectric भी non-polar की तरह बाहरी विधुत क्षेत्र के प्रभाव को कम कर देते हैं।
Connection of more then one Capacitor:- एक से अधिक कैपेसिटर को सर्किट में जोड़ने के दो तरीके हैं
(1)- Parallel connection(समान्तर जोड़)
(जब धारा, किसी बिन्दु से बंट कर दो या दो से अधिक परिपथ से गुजरती है, तब इस प्रकार के कनैक्शन को parallel कनैक्शन कहते हैं।) जब दो कैपेसिटर को समान्तर में जोड़ा जाता है, तब दोनों कैपेसिटर की capacitance(C) जुड़ जाती है। इसी प्रकार समान्तर में दो से अधिक capacitors के होने पर भी सभी capacitors की capacitance(C)(धारिता) एक साथ जुड़ जाती है।
(2)- Series Connection(श्रेणी जोड़):- जब एक से अधिक capacitors को श्रेणी में एक के आगे एक करके जोड़ा जाता है, तब इस प्रकार के कनैक्शन को श्रेणी कनैक्शन कहते हैं।
इस प्रकार के connection में, सर्किट में जीतने अधिक कैपेसिटर श्रेणी में लगाये जाते हैं, सर्किट की capacitance(C) उसी अनुपात(ratio) में कम होती जाती है।
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