Electromagnetic Induction (विधुत चुंबकीय प्रेरण)

नोट:- विधुत चुंबकीय प्रेरण को समझने के लिए चुंबकीय बल रेखाएँ, ओर्सट्रेट के नियम, फेराडे के नियम, और लेंज के नियम अवश्य पढ़ें।

विधुत चुंबकीय प्रेरण दो प्रकार के होते हैं।

  1. गतिकीय प्रेरित विधुत वाहक बल (Dynamic EMF)
  1. स्थैतिक विधुत वाहक बल (Static EMF)
  • स्वप्रेरित विधुत वाहक बल(self induced emf)
  • पारस्परिक विधुत वाहक बल(mutual induced emf)
1)- Dynamic EMF:- जब कोई चालक, किसी चुंबकीय क्षेत्र में गतिमान हो या कोई चुंबकीय क्षेत्र किसी चालक पर गतिमान हो या दोनों ही विपरीत दिशा में घूर्णन गति कर रहे हों, तब चालक में गति के कारण जो विधुत वाहक बल emf उत्पन्न होता है उसे Dynamic emf कहते हैं।
चित्र 1 में केवल चालक, चुंबकीय क्षेत्र में घूम रहा है। चित्र 2 में, चालक स्थिर है, परंतु चुंबकीय क्षेत्र चूम रहा है, जबकि चित्र 3 में दोनों एक दूसरे के विपरीत दिशा में घूम रहे हैं।
चालक में उतपन वोल्टेज(emf) E = B l v Sinϴ के बराबर होता है।
यहाँ l = चालक की लंबाई (चुंबकीय क्षेत्र में जितना अधिक लंबा चालक होगा, चालक द्वारा flux उतना ही अधिक काटा जायेगा।)
B = चुंबकीय flux
v = चुंबकीय क्षेत्र के सापेक्ष, चालक की घूमने की गति
Sinϴ = चुंबकीय क्षेत्र में चालक की स्थिति

2)- Static emf:-  स्थैतिक EMF में चालक और चुंबकीय क्षेत्र, दोनों मे से कोई नहीं हिलता है। इस प्रकार के emf, AC के गुणो के कारण उत्पन्न होता है। ये दो प्रकार के हैं। (यह महत्वपूर्ण topic है, कृपया इसे ध्यान से पढ़ें। सभी inductor, इसी सिधान्त पर कार्य करते हैं।)
a:- Self induced emf:- जब किसी कुंडली(coil) के परिवर्तनीय fluc से उसी कुंडली में विधुत वाहक बल उत्पन्न होता है, तब उत्पन्न हुआ विधुत वाहक बल को self induced emf या स्वप्रेरित विधुत वाहक बल कहते हैं।
चित्र में एक कुंडली को rheostat के माध्यम से बैटरि से जोड़ा है। Rheostat से जब कुंडली में वोल्टेज बढ़ते हैं, तब Ohm के नियम के अनुसार धारा को भी बढ़ना चाहिए, परंतु कुंडली के प्रत्येक तार में उत्पन्न हुए परिवर्तनीय flux के कारण नजदीकी दूसरी तार में विपरीत विधुत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है। (फ्लेमिंग के अनुसार परिवर्तनीय flux के कारण चालक में emf उत्पन्न होता है, जबकि लेंज के अनुसार उत्पन्न emf की दिशा अपने जन्म करता के विपरीत होती है।) अतः जब कुंडली में वोल्टेज बढ़ाई जाती है, तब धारा का मान गिरता है, परंतु जब वोल्टेज घटाई जाती है तब धारा का मान बढ़ने लगता है। इस तरह कोइल में स्वतः ही धारा का मान नियंत्रित रहता है। यदि rheostat से वोल्टेज को स्थिर कर दिया जाए, तब coil की तारों में स्वप्रेरित emf उत्पन्न नहीं होगा और धारा का मान तेजी से बढ़ेगा, जिसके कारण coil अत्यधिक गरम हो जायेगी और जलने का खतरा उत्पन्न हो जाएगा।यदि coil को सीधा कर दिया जाये तब परिवर्तनीय वोल्टेज लगाने पर भी तार जल जायेगी, क्योंकि तब तार एक single चालक की तरह व्यवहार करगी और उसमे बहने वाली धारा का विरोध करने के लिए कोई emf नहीं होगा।
स्वप्रेरित emf के अध्यन से साफ है की यदि किसी चालक को कुंडली(coil) के रूप में बनाया जाये तो कुंडली में, खुद मे से बहाने वाली परिवर्तनीय धारा के विरोध करने का गुण स्वतः उतपन हो जाता है।
Inductance (प्रेरकत्व):- किसी कुंडली(coil) का वह गुण जिसके कारण वह खुद मे से बहने वाली परिवर्तनीय धारा का विरोध करती है, Inductance कहलाता है। इसे 'L' से दर्शाते हैं। 
कुंडली में तार के छल्लों की संख्या(N) जितनी ज्यादा होगी, L का मान उतना ही अधिक होगा। 
अतः L = NØ/I
b)- Mutual inductive emf:- जब एक coil के द्वारा उत्पन्न लगातार बदलने वाले चुंबकीय flux के कारण, उसके समीप रखी दूसरी coil में स्वतः ही विधुत वाहक बल(वोल्टेज) उत्पन्न हो जाये, तब इसे mutual inductive force कहते हैं।
इस प्रकार से दूसरी coil में उत्पन्न emf, पहली वाली coil के emf से विपरीत दिशा में होती है। चित्र में पहली coil को AC वोल्टेज से जोड़ा है, जिसके कारण उसमे धारा की दिशा लगातार बदलती रहती है और धारा की दिशा के लगातार बदलने के कारण चुंबकीय फ्लुक्स की दिशा भी बदलती रहती है। यह लगातार बदलने वाला चुंबकीय flux दूसरी coil में opposite AC वोल्टेज उत्पन्न करता है।
Mutual inductive emf के कारण ही हमारे transformer और AC electric motors कार्य करती हैं।

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