Rectifier

Rectifier का स्तेमाल, AC को DC में बदलने के लिए किया जाता है।
Principle(सिद्धान्त):- हम जानते हैं कि AC में धारा पहले आगे जाती है, फिर पुनः वापस लौट जाती है और यह क्रम इसी तरह चलता रहता है। अतः Rectifier की तुलना एक ऐसे स्विच से की जाती है, जो कि AC के आधे कालचक्र में धारा को आगे जाने दे और जब धारा वापस आना चाहे, तब धारा का मार्ग Off(बंद) कर दे। इस तरह AC धारा, DC की तरह एक ही दिशा में बहती रहेगी। PN डायोड, ऐसे ही स्विच की तरह कार्य करता है।
डायोड के द्वारा दो प्रकार के rectifier बनाये जाते हैं।
  1. Half Wave Rectifier(अर्द्ध-तरंग दिष्टकारी)
  2. Full Wave Rectifier(पूर्ण-तरंग दिष्टकारी)
1)- Half wave rectifier:- Half wave rectifier में केवल एक डायोड use किया जाता है। Rectifier परिपथ को सीधे मेन लाइन से न जोड़ कर, एक transformer के द्वारा जोड़ा जाता है। Output में हमे जितनी volt की DC चाहिए, उसी के अनुसार transformer का चयन किया जाता है। चित्र के अनुसार, input AC के पहले आधे Positive चक्र में डायोड के P सिरे पर + वोल्टेज होती है और N सिरे पर - वोल्टेज होती है, अतः डायोड forward bias में है और lode में धारा बहती है। परंतु AC के नेगेटिव चक्र में डायोड reverse bias में आ जाता है और डायोड, reverse bias में धारा को प्रवाह नहीं होने देता है। अतः load मे से कोई धारा नहीं बहती है। इस तरह load को रुक-रुक कर के एक ही दिशा से धारा सप्लाइ होती है। अतः Half wave rectifier में AC के केवल आधे चक्र के लिए ही output में DC वोल्टेज प्राप्त होती है।
Output DC of Half wave rectifier:- Rectifier की output, शुद्ध DC नहीं होती है। यह DC की तरह एक दिशा में चलती है, परंतु इसका मान, AC की तरह समय के साथ बदलता रहता है। अतः rectifier की output dc को प्राप्त करने के लिए 0 से 2π तक मध्य-मान निकालते हैं।
(नोट:-यदि नीचे के समीकरण में DC की आउटपुट, वोल्टेज के रूप में निकालनी हो, तब सभी 'i' और 'I' को क्रमसः 'v' और 'V' से बदल दें)
Output of Half wave rectifier in AC form or RMS output of Half wave rectifier:- क्योंकि DC की output में AC की तरह परिवर्तनी component(घटक) होते हैं, अतः Rectifier की आउटपुट, RMS रूप में निम्न प्रकार निकालते हैं।

Efficiency of Half Wave Rectifier (अर्धतरंग दिष्टकारी की दक्षता) :- (किसी भी सिस्टम की दक्षता या क्षमता का मतलब होता है कि वह सिस्टम जितनी ऊर्जा लेता है, उसके बदले आउटपुट में कितना देता है। यहाँ Half Wave Rectifier एक पूरा सिस्टम है।)
दक्षता = (output पावर/input पावर)
अतः यदि rectifier के आउटपुट में R प्रतिरोध का लोड लगा है तब (डायोड के फॉरवर्ड प्रतिरोध, R की तुलना में नगण्य है अतः डायोड के प्रतिरोध को नहीं लेंगे)
आउटपुट पावर = I²dc × R
इसी तरह इनपुट पावर = I²rms × R (लोड 'R' दोनों के लिए एक ही है।)
अतः दक्षता η = I²dcR/I²rmsR
या दक्षता η = I²dc/I²rms
या दक्षता η = (Imax/π)²/(Imax/2)²
या दक्षता η = 2²/π²
या दक्षता η = 0.406
दक्षता η % में = 40.6%
अतः सपष्ट है कि हल्फ वेव rectifier की दक्षता आधे(50%) से भी कम है।
Ripple Factor(ऊर्मिका घटक):- Rectifier से प्राप्त DC में उपस्थित सभी AC घटक(components) और DC के औसत मान के अनुपात(ratio) को ऊर्मिका घटक कहते हैं। ऊर्मिका घटक से हमे पता चलता है कि आउटपुट DC में AC components की मात्र कितनी है। DC में AC की मात्र जितनी कम होगी, DC उतनी अधिक शुद्ध होगी। अतः ऊर्मिका घटक का मान कम से कम होना चाहिए।
अतः ऊर्मिका घटक γ = (total rms value of voltage or current)/(average DC)
यहाँ ऊर्मिका घटक का मान 1 से अधिक है, अतः DC को और अधिक शुद्ध बनाने के लिए फ़िल्टर सर्किट लगाने पड़ेंगे।
Peak inverse voltage(पीक इनवर्स वोल्टेज):- किसी rectifier सर्किट में, जब डायोड रिवर्स बायस में होता है, तब डायोड पर विपरीत दिशा में लगने वाली अधिकतम वोल्टेज को peak inverse voltage(PIV) कहते हैं। इस वोल्टेज का मान, इनपुट AC की  वोल्टेज के अधिकतम मान के बराबर होता है।
Regulation(रेग्युलेशन):- DC load current के साथ DC आउटपुट वोल्टेज के परिवर्तन को rectifier का रेग्युलेशन कहते हैं।
जब IDC = 0 है, तब  EDC  का अधिकतम मान (Em/π) के बराबर होता है।
IDC के बढ़ने पर  EDC  रेखीय रूप (linearly) में घटता है। अतः अर्ध-तरंग दिष्टकारी का नियंत्रण उत्तम  नहीं है।
2)- Full wave rectifier:- इस प्रकार के rectifier में AC की दोनों अर्ध चक्रों को डायोड से बने परिपथ के माध्यम से एक ही दिशा में प्रवाहित कराया जाता है। यह दो प्रकार के होते हैं।
(a)- Center tape rectifier
(b)- Bridge rectifier

(a)- Center tape rectifier:-: इस प्रकार के rectifier में दो डायोड use होते हैं। Rectifier को इनपुट देने के लिए center taped transformer  का स्तेमाल किया जाता है। सेंटर टेप ट्रान्स्फ़ोर्मर की secondary(दूसरी) कुंडली, दो भागों में बंटी होती है। अतः दोनों भागों से दो half wave rectifier बनाये जाते हैं। परंतु दोनों का लोड एक ही होता है।


जब rectifier सर्किट को AC प्राप्त होती है, तब AC के पहले हाफ चक्र में डायोड D1, फॉरवर्ड bias में होता है। अतः डायोड D1 द्वारा लोड में धारा बहती है, परंतु डायोड D2 reverse bias में होता है और इसके कारण सर्किट में कोई धारा नहीं बहती है। AC के दूसरे हाफ चक्र में इनपुट वोल्टेज नेगेटिव(विपरीत दिशा में) हो जाती है। इस स्थिति में डायोड D1 रिर्वस bias में हो जाता है और conduct(चलन) करना बंद कर देता है। अब नेगेटिव चक्र में D2 फॉरवर्ड bias में होता है। अतः इस बार लोड को D2 द्वारा धारा सप्लाइ की जाती है। इस तरह दोनों बार लोड को एक ही दिशा से धारा मिलती है।
Output DC of Center Tape wave rectifier:- Center Tape Rectifier की आउटपुट में AC की दोनों half cycle प्राप्त होती हैं, अतः इसकी average DC आउटपुट, Half wave rectifier से दोगुना(twice) होती है।
Center tape full wave rectifier की आउटपुट की RMS value:- यदि इनपुट AC, uniform हो, तब आउटपुट DC में सभी अर्धचक्र का मान बराबर होगा। अतः half cycle की RMS value निम्न है।
Efficiency of full wave rectifier:- 
दक्षता η = लोड में (आउटपुट DC)/(इनपुट AC)
या η = (2Imax/π)²R/(Imax/√2)²R  .... (R= लोड का प्रतिरोध। यहाँ डायोड के प्रतिरोध को शून्य माना है।)
η = (4I²max/π²)/(I²max/2)
η = 8/π²
η = 0.812
percentage(%) में η = 0.812 × 100 
η = 81.2% 
अतः center tape rectifier की efficiency(दक्षता) η, half wave rectifier से दोगुना होती है।
Ripple Factor:- Full wave rectifier के लिए ripple factor(ऊर्मिका घटक) निम्न प्रकार ज्ञात होता है।
Full wave rectifier में, half wave की तुलना में ripple कम होता है।
Peak inverse voltage:- Centre tape rectifier में दो identical(एक जैसी) वाइंडिंग होती हैं। यदि एक वाइंडिंग में उत्पन्न वोल्टेज E है, तब किसी भी डायोड में reverse bias में 2E वोल्टेज लगती है। अतः PIV = 2E

Bridge Rectifier:- यह भी एक full wave rectifier है, परंतु इसमे चार डायोड का स्तेमाल किया जाता है। इसमे centre tape transformer की जगह साधारण स्टेप डाउन transformer use किया जाता है, जिसके कारण सर्किट में centre tape rectifier से अधिक धारा प्राप्त होती है।
इस प्रकार के rectifier में transformer की secondary(S) वाइंडिंग में जब वोल्टेज positive दिशा में लगती है, तब rectifier में लगे डायोड D1 और D2 फॉरवर्ड bias में आ जाते हैं और इनके कारण लोड़े  से धारा प्रवाह होती है। परन्तु जैसे ही secondary वाइंडिंग में नेगेटिव वोल्टेज उत्पन्न होती है, D1 और D2 reverse bias में चले जाते हैं और डायोड D3 और D4 फॉरवर्ड बियास में आ जाते हैं और इनके कारण लोड से धारा प्रवाह होता है। डायोड का arrangement कुछ इस तरह किया जाता है कि इनपुट में AC के दिशा बदलने पीआर भी आउटपुट में लोड में धारा एक ही दिशा में बहती है।
(नोट:- ब्रिज rectifier के लिए आउटपुट DC, आउटपुट RMS, Ripple Factor और Efficiency, Centre Tape Rectifier के बराबर है, अतः ब्रिज rectifier के लिए भी centre taped rectifier के समीकरण लिखे जायेंगे।)



work is in progress..........

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