Type of Capacitors

साधारणतः कैपेसिटर को दो वर्गों में बांटा जाता है।
Polarised Capacitor(ध्रुवित संघारित्र):- Polarised कैपेसिटर में साधारण कैपेसिटर की तरह दो electrodes होते हैं परंतु dielectric कुछ भिन्न प्रकार का होता है। साधारण कैपेसिटर में किसी non-metal को dielectric के लिए use किया जाता है, परंतु polarised कैपेसिटर में, कैपेसिटर की दोनों plates मे से किसी एक प्लेट पर electrolytic process की मदद से oxide की एक पतली सी लेयर(10-4mm) बना दी जाती है। (जिस प्लेट पर oxide की लेयर चढ़ाई जाती है, वह +वे लेयर होती है, अतः उसे विधुत सप्लाइ के पॉज़िटिव terminal से जोड़ना चाहिये) जब कैपेसिटर पर वोल्टेज लगायी जाती है तब वोल्टेज लगाने पर यह लेयर एक दिशा में उच्च प्रतिरोध उत्पन्न करती है और विपरीत दिशा में वोल्टेज लगाने पर प्रतिरोध कम हो जाता है। इस प्रकार के कैपेसिटर को polarised कैपेसिटर कहते हैं। कुछ capacitors में oxide लेयर के साथ-साथ dielectric पदार्थ का भी use किया जाता है। यदि दोनों प्लेट पर oxide लेयर चढ़ा दी जाए तब यह साधारण कैपेसिटर बन जायेगा।
Polarised capacitors में dielectric की मोटाई बहुत कम होती है, अतः इनमे साधारण कैपेसिटर की अपेक्षा अधिक capacitance(धारिता) होती है। इस प्रकार के capacitors को DC सप्लाइ में use किया जाता है। इनमे oxide लेयर वाला terminal, पॉज़िटिव और दूसरा नेगेटिव terminal होता है। पॉज़िटिव terminal को हमेसा पॉज़िटिव सप्लाइ से जोड़ना चाहिए। विपरीत दिशा में वोल्टेज देने पर या AC सप्लाइ से जोड़ने पर कैपेसिटर नष्ट हो सकता है। इनमे उच्च धारा leakage होता है।
Non-Polarised Capacitor(अध्रुवित संधारित्र):- इस प्रकार के capacitors में कोई ध्रुवता नहीं होती है। इन्हे सर्किट में कैसे भी लगा सकते हैं। तुलनात्मक रूप से इनकी capacitance(C), ध्रुवित कैपेसिटर से कम होती है, परंतु इनमे current leakage बहुत कम होने के कारण, ये अपना आवेश नहीं खोते हैं। ये कैपेसिटर high फ्रिक्वेन्सी की AC पर कार्य कर सकते हैं।

Various Type of Capacitors

(1)- पेपर कैपेसिटर:- Paper Capacitor में चालक धातु की दो पट्टियाँ होती हैं। दोनों पट्टी के बीच में dielectric के रूप में paper(कागज) का स्तेमाल किया जाता है। कागज को तेल, मोम या किसी अन्य dielectric पदार्थ से लेपित किया जाता है।
पेपर कैपेसिटर में current leakage बहुत कम होता है। ये कैपेसिटर 100 volt से कई हजार volt तक और 0.005µF से काफी अधिक capacitance तक उपलब्ध हैं।
(2)- Mica Capacitor(अब्रक संघारित्र):- Mica कैपेसिटर में चालक electrodes की संख्या दो से अधिक हो सकती हैं। इस प्रकार के कैपेसिटर में चालक पत्तियों को एक के बाद एक को छोड़ कर लीड से जोड़ दिया जाता है। छूटी हुई पत्तियों को दूसरी लीड से जोड़ते हैं। सभी चालक पत्तियों के बीच में mica की 0.05 mm मोटी dielectric परत होती है।
सभी पत्तियाँ, एक parallel plate कैपेसिटर की भांति कार्य करती हैं। इन्हे लपेट कर बेलनाकार(cylindrical) रूप में भी बनाया जा सकता है। इनकी धारिता 10-3 से 10 µF तक हो सकती है।
(3)- Ceramic Capacitor(सिरेमिक संघारित्र):- इस प्रकार के कैपेसिटर की चालक electrodes के मध्य ceramic को dielectric की भांति स्तेमाल किया जाता है। कैपेसिटर को बनाने के लिए पहले ceramic की डिस्क ली जाती है और फिर उसके दोनों साइड कॉपर या सिल्वर की कोटिंग करके electrodes की दो प्लेट बनायी जाती हैं। Electrode प्लेट के ऊपर लीड लगाकर बाहर से सुरक्षा कोटिंग से ढक दिया जाता है।
प्रायः इन capacitors की value कैपेसिटर के ऊपर अंकित की जाती है या फिर कलर कोड भी स्तेमाल किया जाता है। ये कैपेसिटर leakage proof होते हैं अतः इन्हे DC और उच्च आवृति(frequency) की AC दोनों में use किया जा सकता है। ये कैपेसिटर 3 volt से 6000 volt और 3pF से 2µF तक के मान में उपलब्ध हैं।
(4)- Polyester Capacitor:- Polyester कैपेसिटर में aluminium की दो electrode प्लेट होती हैं। दोनों के मध्य में dielectric पदार्थ के रूप में polyester का use किया जाता है।

ये कैपेसिटर ऊष्मीय(thermal) रूप से स्थायी रहते हैं। इन्हे उच्च आवृति के उपकरणो में स्तेमाल किया जाता है। साधारणतः ये कैपेसिटर 1kpF से 1µF तक और 160 volt से 400 volt तक के मान में उपलब्ध हैं। इन कैपेसिटर का शक्तिगुणांक कम और परावैधुत प्रतिरोध अधिक होता है।
(5)- Electrolytic Capacitor(इलेक्ट्रोलिटिक कैपेसिटर):- यह एक polarised कैपेसिटर है। इसमे एक प्लेट, पॉज़िटिव electrode व दूसरी प्लेट नेगेटिव electrode होती है। पॉज़िटिव electrode बनाने के लिए aluminium की एक छड़ पर electrolytic process द्वारा aluminium-oxide की पतली सी परत चढ़ा दी जाती है। इस छड़ को aluminium के एक बर्तन(container) के बीच में बिना बर्तन को touch किए रखा जाता है, और बर्तन में ammonium-borate का पेस्ट भर दिया जाता है। Ammonium-borate का पेस्ट, नेगेटिव electrode की भांति कार्य करता है। इस प्रकार के कैपेसिटर, तुलनात्मक रूप से अधिक धारिता के होते हैं।

Electrolytic कैपेसिटर को सर्किट मे लगाते समय ध्रुवता का ध्यान रखना चाहिये। निर्मांकर्ताओं द्वारा इनकी body पर, इनकी रेटिंग लिखी होती है। इनकी polarity को दर्शाने के लिए, नेगेटिव terminal वाली side पर (-) माइनस का चिन्ह बना होता है।
(6)- Tantalum Capacitor(टैंटेलम संघारित्र):- यह एक electrolytic कैपेसिटर है, परंतु इसमे पॉज़िटिव electrode बनाने के लिए एल्युमिनियम की जगह tantalum-pentaoxide का स्तेमाल किया जाता है। इनमे ताप एवं आवृति अभिलक्षण उत्तम होते हैं।
Tantalum कैपेसिटर महंगे होते हैं। ये कैपेसिटर, बहुत कम समय के लिया अच्चानक उत्पन्न होने वाली वोल्टेज(spike) से नष्ट हो सकते हैं। इनमे current leakage कम होता है और इनमे छोटे आकार में अधिक capacitance प्राप्त की जा सकती है। इनका जीवन काल भी लम्बा होता है।
(7)- Super-Capacitor(सूपर कैपेसिटर):- यह polarised कैपेसिटर हैं। इनकी capacitance बहुत अधिक होती है, अतः ये कैपेसिटर, electrolytic कैपेसिटर की तुलना मे 10 से 100 गुणा अधिक चार्ज स्टोर कर सकते हैं। सुपर कैपेसिटर, battery और परंपरागत कैपेसिटर के बीच की कड़ी है। यह बैटरि की तरह अधिक ऊर्जा स्टोर कर सकता है और कैपेसिटर की तरह सर्किट को कम समय में अधिक ऊर्जा प्रदान कर सकता है। परंतु self discharge rate, battery की तुलना में बहुत अधिक है।
सूपर कैपेसिटर में conventional(परंपरागत) dielectric नहीं होता है और ना ही oxide लेयर बनायी जाती है। यह एक डबल-लेयर कैपेसिटर है। इसमे electrodes के बीच में electrolyte पदार्थ भरा होता है।
(8)- Polypropylene Capacitor(पालिप्रोपईलीन कैपेसिटर):- इंका निर्माण भी polyester कैपेसिटर की तरह होता है, परंतु इनमे polypropylene film को dielectric  की तरह use किया जाता है। इनकी tolerance(1%) बहुत अच्छी होती है।
निर्माताओं द्वारा इनकी रेटिंग, इनके ऊपर अंकित की जाती है। ये कैपेसिटर 100pF से 10nF तक उपलब्ध हैं। उच्च AC वोल्टेज, उच्च आवृति के resonance सर्किट और sample and holding सर्किट जैसे जगहों पर इंका use होता है।
(9)- Variable Air Capacitor:- Variable कैपेसिटर की capacitance(C, धारिता) को परिवर्तित किया जा सकता है। इसमें दो electrode प्लेट होती हैं। प्रत्येक electrode, कई चालक पत्तियों से बना होता है। सभी पत्तियों के बीच में गैप होता है। गैप में कोई dielectric पदार्थ नहीं होता है अपितु यहाँ हवा dielectric का कार्य करती है। एक चालक electrode को fix(स्थिर) रखा जाता है, और दूसरे electrode को इस तरह लगाया जाता है कि उसकी पत्तियाँ, स्थिर electrode की पत्तियों के बीच घूम सके।
घुमाने पर जब गतिमान पत्ती का सेट, स्थिर पत्ती के सैट से पूरी तरह cover हो जाता है, तब कैपेसिटर की capacitance सबसे अधिक होती है। यदि गतिमान पत्ती के सेट को घुमा कर स्थिर पत्ती के सेट से बाहर करते जायेंगे तो दोनों के बीच का एक-दूसरे को ढकने वाला प्रभावी क्षेत्रफल भी कम होता जाता है और इस तरह capacitance भी घटने लगती है।
(10)- ट्रिमर Capacitor:- Trimmer कैपेसिटर भी variable कैपेसिटर होते हैं। यह बहुत छोटे आकार में होते हैं और PCB प्लेट में आसानी से सोल्ड किये जा सकते हैं। इसकी प्लेटों के बीच ceramic या प्लास्टिक के dielectric का स्तेमाल किया जाता है
ट्रिम कैपेसिटर, fix कलर कोडिंग मे भी आते हैं।
पीला  = 5pF
नीला Blue = 7pF
सफेद White = 10pF
हरा Green = 30pF
भूरा   Brown= 60pF

Color coding of Capacitor:- कैपेसिटर की कलर कोडिंग भी resistance(प्रतिरोध) के कलर से मिलती है। इसकी तालिका चित्र में दी है।

नीचे के चित्र में कैपेसिटर के अल्फा-न्यूमरिक कोड़े की तालिका दी है।


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