Type of Electricity

Type of electricity (विधुत धारा के प्रकार)

सबसे पहले विधुत में स्तेमाल होने वाले दो मुख्य शब्द, वोल्टेज और करेंट या धारा को समझते हैं।
धारा या current:- किसी भी सर्किट में इलेक्ट्रॉन के बहने को current या धारा कहते हैं। धारा की इकाई(unit), Ampere(एंपेयर) है। संक्षिप्त में A या Amp लिखते हैं।
वोल्टेज:- वह दबाव जिसके कारण इलेक्ट्रॉन धारा के रूप में प्रवाह करते हैं वोल्टेज कहलाता है। वोल्टेज की इकाई वोल्ट(volt) है। संक्षिप्त में V लिखते हैं।
वोल्टेज और करेंट  की तुलना  पानी और पम्प से कर सकते हैं।

  •  पानी की मोटर द्वरा पाइप में भरे पानी पर पड़ने वाले दबाव को प्रैशर(pressure) कहते हैं जबकि विधुत सर्किट में battery या किसी अन्य स्रोत से electrons पर पड़ने वाले दबाव को voltage(वोल्टेज) कहते हैं।
  • मोटर द्वारा लगाए गए प्रैशर के कारण पाइप में पानी प्रवाहित होता है जबकि battery द्वारा लगाए गए वोल्टेज के कारण सर्किट में इलेक्ट्रॉन प्रवाहित करते हैं।
  • पाइप मे बहने वाले पानी को पानी की धारा कहते हैं जबकि सर्किट में बहने वाले इलेक्ट्रॉन को विधुत धारा कहते हैं।
  • मोटर द्वारा प्रैशर बढ़ाने पर पानी की धारा में भी वृद्धि होती है, जबकि सर्किट में वोल्टेज बढ़ाने पर विधुत धारा बढ़ती है।

विधुत साधारणतः दो प्रकार की होती है। 

  1. DC(Direct current/एकदिशी धारा)
  2. AC(alternate current/प्रतवर्ती धारा)
Direct current

वह विधुत, जिसमे धारा एक ही दिशा मे प्रवाहित करती है, direct current(DC) कहलाती है। वास्तव में DC में इलेक्ट्रॉन का प्रवाह हमेसा नेगेटिव से पॉज़िटिव की दिशा में रहता है। अतः DC करेंट (conventional current) की दिशा हमेसा इलेक्ट्रॉन के प्रवाह के विपरीत पॉज़िटिव से नेगेटिव की ओर दर्शाते हैं।

टॉर्च, दीवार घड़ी, हाथ की घड़ी, आदि के सेल(cell) और Battery, DC स्रोत के मुख्य उदाहरण हैं।  ऊपर चित्र मे एक सेल का उदाहरण दिया गया है। इलेक्ट्रॉन(e-), सेल के negative वाले सिरे से निकल कर सर्किट से बहते हुए सेल की positive सिरे में चले जाते हैं। 
व्यवहारिक जीवन में(हकीकत में) कोई भी सेल या battery की वोल्टेज य धारा इस्तेमाल करने पर समय के साथ कम हो जाती है, परंतु आगे सभी जगह अध्यन के लिए हम DC स्रोत को एक आदर्श(ideal) स्रोत मानेंगे, जो कि समय के साथ घटता नहीं है।


Alternate Current(AC)

वह धारा जो लगातार वोल्टेज की दिशा परिवर्तित होने के कारण अपनी दिशा बदलती रहती है, alternate current(प्रत्यावर्ती धारा) कहलाती है। प्रत्यावर्ती धारा में इलेक्ट्रॉन, एक बार एक दिशा में जाते हैं, फिर दोबारा विपरीत दिशा में बढ़ते हैं। इस तरहा इलेक्ट्रॉन, लगातार अपनी दिशा बदलते रहते हैं।
इलेक्ट्रॉन के एक बार आगे जाने और फिर पुनः वापस अपनी पुरानी स्थिति में लोटने को एक चक्र माना जाता है और इसे एक hertz(Hz) कहा जाता है। धारा द्वारा एक सेकंड में पूरे किये गये कुल चक्रों(Hz) की गिनती को frequency कहते हैं। हमारे घरों में आने वाली बिजली, 50Hz की होती है, अर्थात घर की बजली में इलेक्ट्रॉन एक सेकंड में 50 बार आगे जाकर लोटते हैं। 
आइए, AC द्वारा एक Hz में वोल्टेज और धारा में होने वाले बदलाव को समझते हैं।
ऊपर चित्र में कॉपर की छड़ में एक काल्पनिक इलेक्ट्रॉन दिखाया गया है। चित्र द्वारा एक Hz (complete cycle) में इलेक्ट्रॉन की स्थिति में होने वाले बदलाव दिखये गये हैं।
माना कि एक कॉपर की तार में एक इलेक्ट्रॉन है। t0 समय में जब तार पर कोई वोल्टेज नहीं होती है, तब V0 volt पर इलेक्ट्रॉन(e-), position 'a' पर है। जब वोल्टेज V0 से बढ़ा कर V1 की जाती है, तब t1 समय पर इलेक्ट्रॉन आगे बढ़ता हुआ position 'b' पर पहुँच जाता है। वोल्टेज के लगातार बढ़ने के कारण समय t2 पर इलेक्ट्रॉन की गति "c" बिन्दु पर अधिकतम होती है। समय t2 के बाद वोल्टेज घटनी सुरू हो जाती है और इलेक्ट्रॉन की गति भी घटती है। समय 't4' पर वोल्टेज पुनः शून्य(0) हो जाती है और इलेक्ट्रॉन position 'e' पर रुक जाता है। AC में इसके बाद वोल्टेज की दिशा बादल जाती है और इलेक्ट्रॉन इसी तरह गति करता हुआ t8 समय पर वापस अपनी पुरानी जगहा 'a' पर आ जाता है। इस तरह AC में एक Hz का चक्र पूरा होता है।

AC vs DC

  1. AC में धारा की दिशा लगातार बदलती रहती है जबकि DC में धारा की दिशा एक ही ओर रहती है।
  2. AC में वोल्टेज घटती-बढ़ती रहती है, जबकि DC में वोल्टेज स्थिर रहती है।
  3. क्योंकि DC का ताक्षणिक मान स्थिर रहता है, अतः इसी को DC volt की value माना जाता है। AC में वोल्टेज के लगातार परिवर्तित होने कारण 'RMS' value निकाल कर इसे AC वोल्टेज के रूप में लिखते हैं।
  4. AC में धारा की दिशा के लगातार बदलने के कारण चुंबकीय क्षेत्र भी परिवर्तित होता रहता है जबकि DC मे चुंबकीय क्षेत्र fix(स्थिर) रहता है।
  5. AC में Frequency होती है जबकि DC में कोई Frequency नहीं होती है।
  6. AC को लंबी दूरी तक पहुंचाना आसान है जबकि DC अधिक दूरी तक travel नहीं कर सकती है। दूरी के साथ DC में loss बढ़ते जाते हैं।
  7. High frequency की AC को EM waves में बदल कर, सूचना(information) को एक स्थान से दूसरे स्थान तक space के माध्यम से प्रेषित किया जा सकता हैं। मोबाइल फोन, AC के इसी गुण के कारण कार्य करते हैं। जबकि DC सिर्फ ठोस चालक(तार आदि) के माध्यम से चलती है।
(Note: DC, AC से अधिक हानिकारक होती है क्योंकि AC में frequency के कारण वोल्टेज बार-बार शून्य पर जाती है, अतः छूटने का मौका होता है। जबकि DC में वोल्टेज स्थिर होती है)

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